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Tuesday, August 17, 2010

मोबाइल को दिलाएं वायरस से आजादी


स्मार्ट होते मोबाइल फोन पर साइबर गुंडों की भी नजर है, कोई वायरस के साथ तैयार है तो कोई आपके फोन की सारी जानकारी चुराना चाहता है। मोबाइल

में जब कंप्यूटर जैसे फीचर आ जाएं और जब आप उसमें बेहद अहम-अहम डेटा रखते हैं तो वायरस के डर से आजादी बहुत जरूरी है। मोबाइल को सेफ रखने के कुछ उपायों के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं आशीष पांडे :

मोबाइल पर वायरस अटैक
सबसे पहले एक ऐसी खबर, जो किसी भी स्मार्टफोन यूजर को दहला सकती है। एंटी-वायरस बनाने वाली कंपनी कैस्परस्की ने 10 अगस्त को पहली बार नोट किया कि एंड्रॉयड फोन पर एक वायरस ने अटैक कर दिया है। SMS.AndroidOS.FakePlaye r.a नाम के इस वायरस को एंड्रॉयड फोन का पहला वायरस माना जा रहा है, जो फोन पर जाकर ऐसे नंबरों पर गुपचुप ढंग से एसएमएस करने लगता है, जिन पर प्रीमियम रेट लागू होते हैं। यानी यूजर को पता भी नहीं चलेगा और हजारों का बिल आ जाएगा।

दरअसल यह वाकया एक मिसाल है, जो बताता है कि हम लापरवाह रहे तो हमारे स्मार्टफोन पर कैसा खतरा मंडरा सकता है? इससे पहले नोकिया और सोनी एरिक्सन जैसी कंपनियों के फोन चलाने वाले सिंबियन पर भी इस तरह के कई वायरस अटैक हुए हैं। एंड्रॉयड, विंडोज मोबाइल, सिंबियन, आई-फोन... इन सभी ऑपरेटिंग सिस्टमों ने मोबाइल फोन को कंप्यूटर की टक्कर का बना दिया है। प्रोसेसर फास्ट हैं, इंटरनेट सर्फिंग एक्सपीरियंस भी किसी लिहाज से कम नहीं है और 8-16 जीबी तक की मेमरी भी हम फोन पर स्टोर करने लगे हैं।

ऐसे में फोन के लिए सिक्युरिटी कंप्यूटर के मुकाबले कम नहीं हो सकती। कंप्यूटर के लिए एंटी-वायरस बनाने वाली कंपनियों मसलन ट्रेंड माइक्रो, कैस्परस्की, क्विक हील ने मोबाइल फोन के लिए एंटी-वायरस प्रोग्राम पेश किए हैं। जानते हैं कि एंटी-वायरस प्रोटेक्शन के ये तरीके कैसे काम करते हैं।

मोबाइल पर एंटी-वायरस
- कैस्परस्की मोबाइल सिक्युरिटी
कैस्परस्की ने अपने मोबाइल सिक्युरिटी सॉफ्टवेयर का नया अपग्रेडेड 9.0 वर्जन उतारा है। यह एक मल्टिफंक्शनल प्रॉडक्ट है, जिसमें एंटी-वायरस फीचर तो हैं ही, साथ ही मैलवेयर और नेटवर्क अटैक से बचाव, चोरी होने पर प्रोटेक्शन और प्राइवेसी पर भी बेहद जोर दिया गया है। मोबाइल चोरी होने पर आप डेटा वाइप तो कर ही सकते हैं, अगर कोई सिम कार्ड बदलता है तो आपके पास पहले से दिए गए नंबर पर फोन के नए सिमकार्ड से एसएमएस आ जाएगा। मोबाइल सिक्युरिटी 9.0 सिंबियन 9.1, 9.2, 9.4 और विंडोज मोबाइल 5 से लेकर 6.5 तक वाले ऑपरेटिंग सिस्टमों पर चलता है। तीन लेवल का सिक्युरिटी सपोर्ट है, आप इसे जितना बढ़ाते हैं सॉफ्टवेयर की फायरवॉल उतना ही एक्टिव हो जाती है। फायरवॉल किसी तरह के वायरस को आने से रोकती है और बिना इजाजत कोई कनेक्शन भी नहीं बनने देती।

क्विक हील फॉर विंडोज मोबाइल
क्विक हील ने इससे पहले विंडोज मोबाइल के लिए एंटी-वायरस पेश किया था, जिसमें आपको सॉफ्टवेयर अपने फोन पर लोड करना होता है। यह विंडोज 5.0, 6.0 और 6.1 पर काम करता है और हैंडसेट पर 10 एमबी की फ्री स्टोरेज मेमरी और 5 एमबी की फ्री-प्रोग्राम मेमरी होना जरूरी है। यह आपके हैंडसेट पर किसी वायरस को आने से रोकता है। यानी आप निश्चिंत होकर फोन पर सर्फिंग और उसे दूसरी डिवाइस से कनेक्ट कर सकते हैं। इसके अलावा, मेमरी स्कैनर फोन पर पहले से स्टोर डेटा को भी स्कैन करता है। साथ ही मेमरी कार्ड को किसी इन्फेक्टेड डिवाइस से अपने हैंडसेट पर डालने पर भी यह आपको वायरस होने पर अलर्ट करेगा।

ट्रेंड माइक्रो मोबाइल सिक्युरिटी
सिंबियन एस-60, एस50 सीरीज के हैंडसेट में इसे लोड करने के लिए कम-से-कम 1.5 एमबी का स्टोरेज स्पेस और 3 एमबी का मेमरी स्पेस होना चाहिए। विंडोज 5 से लेकर 6.1 और 5.5 में लोड करना हो तो फोन में 4 एमबी का स्टोरेज स्पेस और 3 एमबी का मेमरी स्पेस चाहिए। यह आपको ऑनलाइन खतरों से बचाने के लिए एंटी-वायरस और एंटी-फिशिंग का प्रोटेक्शन तो देता ही है, साथ ही आप ऑटो और मैनुअल स्कैन भी कर सकते हैं। पैरंटल कंट्रोल से आप फोन की लॉग-बुक हासिल कर सकते हैं, ताकि पता चल सके कि कहां कॉल की गई और क्या मेसेज आए? फोन खो जाए तो एक मेसेज से उसका सारा डेटा वाइप यानी डिलीट किया जा सकता है ताकि आपकी सीक्रेट जानकारी किसी के हाथ न लगे। इसी तरह एक मेसेज से फोन का सिम कार्ड बदलने पर उसे लॉक करने का फीचर भी है। 3.0 वर्जन में आपको फायरवॉल, एंटी-वायरस और किसी बाहरी प्रोग्राम की घुसपैठ रोकने वाला इंट्रयूजन डिटेक्शन फीचर मिलता है।

एफ सिक्योर
ऊपर बताए गए सभी एंटी-वायरस प्रोग्राम वाले स्टैंडर्ड फीचर आपको इसमें मिलते हैं। साथ ही यह ब्राउजिंग प्रोटेक्शन से आपको मोबाइल फोन पर सेफ सर्फिंग के लिए भी आगाह करता है। जब भी आप डेटा कनेक्ट करते हैं, यह अपना एंटी-वायरस सूचना स्टोर अपडेट करता रहता है। आपने अगर ऑनलाइन कनेक्शन इस्तेमाल नहीं किया है तो एसएमएस अपडेट से आपको मैलवेयर अपडेट भेजे जाते हैं। फायरवॉल की मजबूती आपको हैकिंग और वॉर्म अटैक से बचाती है, हालांकि एंड्रॉयड वर्जन में फायरवॉल नहीं दी गई है।

पीसी टु मोबाइल स्कैन
एंटी-वायरस कंपनी क्विक हील ने पिछले दिनों इस तरह का प्रोग्राम पेश किया है। इसमें आजादी यह है कि आपको फोन पर एंटी- वायरस लोड करने का झंझट नहीं रहता और इसमें मेमरी खर्च होने का सिरदर्द भी नहीं है। आपको बस मोबाइल को यूएसबी से पीसी के साथ कनेक्ट करने या फिर ब्लू टूथ के जरिए कनेक्शन बनाना होता है। इसके बाद जब आप मोबाइल स्कैन करते हैं तो एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर स्टोरेज मेमरी से लेकर ऑपरेटिंग सिस्टम और सिस्टम फाइल्स तक को स्कैन करता है।PC2Mobile स्कैन नाम का यह प्रॉडक्ट सिंबियन, विंडोज मोबाइल ओएस, लिनक्स आधारित ओएस के अलावा एपल, ब्लैकबेरी, एचटीसी व सभी अन्य ब्रैंड के फोन के लिए कारगर साबित होता है।

कितना खर्च मोबाइल सिक्युरिटी प्रॉडक्ट के प्राइस अलग-अलग हैं। कैस्परस्की का 9.0 वर्जन आपको वेबसाइट पर एक फोन के लिए एक साल के लिए 699 रुपये में मिलता है तो एफ-सिक्योर का एक फोन के लिए एक साल का पैकेज 2499 रुपये का है। नॉर्टन का अमेरिका बाजार में तो मोबाइल प्रॉडक्ट है लेकिन भारतीय वेबसाइट में ऐसी कोई जानकारी हमें नजर नहीं आई। ट्रेंड माइक्रो का कहना है कि उसके प्रॉडक्ट का दाम ऑन रिक्वेस्ट ही उपलब्ध है। इसके अलावा, कुछ पीसी टु मोबाइल स्कैन प्रॉडक्ट ऐसे हैं, जो कंपनियां आपको कंप्यूटर के एंटी-वायरस के साथ मुफ्त देती हैं।

सटीक कीमत जानने के लिए सॉफ्टवेयर डीलर से संपर्क करें। आप अगर स्मार्टफोन इस्तेमाल करते हैं तो उनके ऑफिशल एप्लिकेशन स्टोर पर आपको ऐसे प्रॉडक्ट मिल जाएंगे, जो एंटी-वायरस, रिमोट वाइप और लोकेशन पहचाने के फीचर देते हैं, इनमें लुकआउट मोबाइल सिक्युरिटी और wheresMyPhone जैसे एप्स बेहद पॉपुलर हैं और लगभग हर स्टोर पर मिल जाते हैं।

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